खाते में जीरो बैलेंस होने पर भी Bank Overdraft Facility से पैसों की जरूरत को करें पूरा!
अचानक आने वाली किसी भी तरह की आर्थिक इमरजेंसी के लिए कई बार बैंक अकाउंट में थोड़े पैसे या जीरो बैलेंस ही होता है जिससे इमरजेंसी में आर्थिक संकट से निपटना मुश्किल हो जाता है।
हालांकि बैंकों द्वारा जीरो बैलेंस होने पर भी एक सुविधा प्रदान की जाती है जिसे Bank Overdraft Facility कहा जाता है जिससे आप अपने आर्थिक संकट को टाल सकते हैं।
क्या है बैंकों द्वारा प्रदान की जाने वाली Bank Overdraft Facility?
दरअसल कई लोग अपने बैंक खाता को काफी अच्छी तरह ऑपरेट करते हैं और ऐसे में बैंक अपने अच्छे ग्राहकों को ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी की सुविधा देता है जिसमें अगर व्यक्ति पर अचानक से आर्थिक संकट आ गया है और उसके अकाउंट में पैसे नहीं है तो भी वह अपने आर्थिक संपर्क से निपटने के लिए अपने बैंक से संपर्क कर सकता है जिसके तहत बैंक अपनी ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी के आधार पर उसे ₹10000 तक का उधार देता है।
Bank Overdraft Facility बैंक द्वारा दिया गया एक तरह से आप उधर ही समझे। हालांकि ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी और लोन में एक बहुत बड़ा अंतर होता है। कई लोगों का मानना है कि बैंक ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी और लोन एक तरह से ही काम करते हैं लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।
जब आप अकाउंट खुलवाना चाहते हैं तो आपको अपने बैंक से यह सुनिश्चित करना होगा कि Overdraft Facility उपलब्ध है या नहीं क्योंकि अगर बैंक ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी देता होगा तो तभी आप संकट के समय में अपने लिए लगभग ₹10000 तक की निकासी जीरो बैलेंस होने पर भी कर सकेंगे।
कैसे कर सकते हैं बैंक ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी के लिए अप्लाई?
अगर आप किसी आर्थिक संकट में फंस गए हैं और आपका बैंक ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी प्रदान करता है तो आप अपने बैंक के वेबसाइट पर जाकर या नेट बैंकिंग के थ्रू ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी के लिए अप्लाई कर सकते हैं जिसके बाद आप एटीएम से ही अपने लिए लगभग ₹10000 तक की ओवरड्राफ्ट कीमत को निकाल सकते हैं।
हालांकि ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी में ग्राहक को कितनी राशि का उधार दिया जाना चाहिए, यह सिर्फ बैंक द्वारा ही तय किया जाता है।
लोन और बैंक ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी में है बड़ा अंतर!
कई लोगों को ऐसा लगता है कि लोन और बैंक ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी में एक समान ब्याज दर ही चुकानी होती है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है जबकि अगर आप बैंक से लोन लेते हैं तो वहां पर महीने के हिसाब से ब्याज दर का हिसाब लगाया जाता है जबकि Bank Overdraft Facility में प्रतिदिन के हिसाब से ब्याज लगाया जाता है यानी की बैंक ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी में ब्याज ज्यादा चुकाना पड़ता है जो की एक बड़ी परेशानी हो सकती है।
वहीं जनधन अकाउंट बनाने वाले ग्राहकों को भी बैंक ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी दी जाती है जिसमें बैंक की ओर से ओवरड्राफ्ट राशि को तय किया जाता है जिसके बाद वह राशि ग्राहकों के खाते में ट्रांसफर कर दी जाती है और उस पर लगने वाला ब्याज भी बैंक द्वारा ही तय किया जाता है।